Najayez sex sambandh ki kahani, Sex kahani, Desi xxx kahani, नाजायज़ सेक्स संबंध की कहानी ,Hindi incest sex story, मेरी माँ और पापा के दोस्त के बीच सेक्स की हैं । आज मैं बाटूंगा कैसे पापा के दोस्त ने मेरी माँ को चोदा,कैसे माँ ने पापा के दोस्त का लण्ड चूसा,कैसे माँ ने पापा के दोस्त से चुदवाया , पापा के दोस्त ने माँ को नंगा करके चोदा,माँ की चूचियों को चूसा , माँ की चूत चाटी, माँ को घोड़ी बना के चोदा, 8 इंच का लण्ड से माँ की चूत फाड़ी, माँ की गांड मारा , और खड़े खड़े माँ को चोदा । मेरा नाम कविता है, मेरी माँ का नाजायज रिश्ता था अरुण अंकल के साथ, और इस रिश्ते को जायज करने बाले भी मेरे पापा ही थे, मैं आज तक समझ नहीं पाई की आखिर ये क्या रिश्ता है,
कौन सी बात है, क्या वजह है जिसके चलते मेरे पापा मेरी माँ को शेयर कर रहे है, कौन ऐसा मर्द होगा जो अपनी पत्नी को किसी और मर्द के बाहों में भेजेगा. मैं आपको पूरी कहानी सुनती हु, ये कहानी नहीं मेरे ज़िंदगी का एक पहलु है, ये सच है मैं कसम खाती हु, ये बात किसी और से कह नहीं सकती थी इस वजह से मैं आज निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पे दाल रही हु, मैं अपने परिवार का तमाशा भी नहीं बनाना चाहती हु, पर मैं अपने मन में इस बोझ को ज्यादा देर तक नहीं रख सकती, मुझे अपने मन को हल्का करना है. आपसे मेरा नम्र निवेदन है की कोई गलत कमेंट ना करें.मेरी माँ की शादी सत्रह साल की उम्र में ही हो गई थी, मैं जल्दी ही हो गई, मेरी पढाई लिखे बहुत अच्छे तरीके से तो नहीं हुई, क्यों की मेरे घर की हालात ठीक नहीं थे, माँ पापा हमेशा लड़ते रहते थे, मैंने जैसे तैसे पढाई अभी तक कर रही हु, मेरी माँ पढ़ी है, वो दिल्ली में ही रह कर पढ़ी है, पर पापा सिर्फ दसवी पास है, मेरा पैतृक गाव वृन्दावन के पास है, मेरे पापा जब दिल्ली में काम करते थे तो मेरी माँ भी शादी के पहले वही पर काम करती थी, दोनों में प्यार हुआ और घर बालों के मर्जी के बिना शादी हो गई, दोनों दिल्ली में ही रहने लगे.
आपको मेरी फैमिली का संक्षित विवरण मिल गया है. अब मैं सीधे कहानी पर आती हु.जब मैं छोटी थी, तो पापा और माँ के बीच में हमेशा अनबन रहता था, माँ और पापा को कभी भी सम्मति से रहते नहीं देखा था, पर पापा उस दिन मम्मी से बहुत ही प्यार से बात करते थे, जिस दिन अरुण अंकल आने बाले होते थे, जब वो घर पे आते थे, पापा मुझे पड़ोस बाले आंटी के यहाँ भेज देते थे, पर मैं बहाना बना के आ जाती थी, जब वापस आती थी तो मुझे अपने माँ पे बहुत तरस आता था, पापा छत पर चले जाते थे, कमरा बंद होता था, चूड़ियों की खनक और आअह आआह आआआह धीरे धीरे धीरे, आआअह आआअह की आवाज अंदर कमरे से आती थी, मैं बहुत परेशान हो जाती थी पर कुछ बोलती नहीं थी, यही सिलसिला चलता रहा. मैं वैसे ही दरवाजा देख कर और वो अवजा सुनकर वापस आंटी के यहाँ चली जाती थी, आती तब थी जब कोई फिर बुलाने आता था, वापस आके मैं माँ को देखती थी, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। उनके हाथ में कांच की चूड़ियों के निशान होते थे, और कई बार चूड़ियों के टूटने की वजह से जख्म होता था, मैं पूछती थी, की माँ ये कैसे हुआ, तो वो है के टाल देती थी , अरे ये ये तो बेलन से चूड़ियों में लग गया था चूड़ी टूटने की वजह से कांच गड गया था. मेरा कोमल मन भी सब कुछ समझता था, पर मैं लाचार थी, जहा सावन ही आग लगाये तो कौन बुझाए, यही गाना मुझे याद आने लगता था, जब मेरा बाप ही अपनी पत्नी को गैर मर्दों के पास सेक्स करने के लिए मजबूर करता था, तो मैं क्या कर सकती थी. सिलसिला चलता रहा, एक बार तो हद हो गई, माँ नानी के यहाँ जाने के बहाने वो अरुण अंकल के साथ हनीमून पे गई थी,
टाइट जीन्स और शर्ट पहन कर, मेरी माँ देखने में काफी सुन्दर है, काफी हॉट है, पर वो जीन्स वगैरह नहीं पहनती थी, पर उस कुत्ते की वजह से मेरी माँ को उसके साथ हनीमून पे जाना पड़ा, जब माँ वापस आई तो उनके पास महंगे महंगे गिफ्ट थे, गाल में साफ़ साफ़ और दांत के निशान थे. जब वो निशान पापा देखे तो खुश हुए थे बोले थे लगता है सब कुछ अछा रहा, है ना आशा, माँ ने घूरते हुए नजरों से देखि, और बोली हां जब तूने मुझे दलदल में डाल ही दिया तो करें भी तो क्या.मैं बड़ी हो चुकी थी, अब सब बात और भी साफ़ साफ़ समझने लगी थी, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। जब पापा ऑफिस में होते तो अरुण अंकल फ़ोन आता था माँ के मोबाइल पे, पर माँ भी उस फ़ोन को उठाने से हिचकिचाती थी, मैं कई बार पापा को बोली की पापा क्या आपके दोस्त का फ़ोन आते रहता है, माँ परेशान हो जाती है आप मना क्यों नहीं करते है. मैं कुछ साफ़ साफ़ बोल भी नहीं सकती थी, वो बड़े प्यार से मुझे समझा देते थे, और कहते थे की मैं बोल दूंगा की फ़ोन नहीं करने के लिए. एक दिन की बात है, पापा को मैंने अरुण अंकल से बात करते हुए सूना की, अरुण अंकल को कल बारह बजे बुला रहे थे, और कह रहे तो की मैं ऑफिस चला जाऊंगा, और मैं अपनी बेटी को भी कही बाहर भेज दूंगा, कुछ पैसे दे दूंगा और कहूँगा तो शॉपिंग कर आओ, शायद अरुण अंकल बोले ठीक है, और उन दोनों ने बात फिक्स कर ली, हुआ भी यही, पापा ने मुझे हजार के एक नोट दिए और बोले मेरी प्यारी बेटी तू अपने लिए कपडे ले आ, तुम्हे कॉलेज के लिए थोड़े कपडे काम पड रहे है, तू बार बार एक ही ड्रेस को पहनती है.
मैंने समझ गई की मुझे क्यों भेजा जा रहा था, रात में पैसे दे दिए, और सुबह मुझे करीब १० बजे जाना था, मैं भी चली गई, पापा भी चले गए, माँ भी बाजार चली गई, पापा को कहते सुना की तुम १२ बजे से पहले ही आ जाना वो माँ को कह रहे थे, माँ बोली ठीक है, मैं घर से बाहर तो गई पर 11 बजे ही वापस आ गई, और मैं पीछे दरवाजे से कमरे के अंदर आ गई, पीछे का गेट का चाभी मेरे पास था, कमरे में दो दरवाजा था, मैं कमरे में दाखिल हो गई, मैं गेट बंद ही रहा था, माँ के आने की आहात हुई बारह बज चुके थे, मैं तुरंत ही पलंग के निचे हो गई, पलंग थोड़ा उचाई पर था, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। अंदर अँधेरा था कोई मुझे देख नहीं सकता था, माँ ने दरवाजा खोली और अंदर आई, अरुण अंकल भी साथ थे, दरवाजा बंद कर दी, रूम में लाइट जला ली, उसके बाद अरुण अंकल माँ को अपने बाहों में भर लिया, और कह रहे थे, गजब की चीज हो मेरी जान, तुम मुझे पागल कर दोगी, तेरे बिना मेरी ज़िंदगी कुछ भी नहीं है,माँ कुछ भी नहीं बोल रही थी, धीरे धीरे मैंने सारे कपडे को निचे गिरते देखा पहले साड़ी, फिर ब्लाउज, फिर ब्रेसियर, फिर पेटीकोट, फिर माँ की पेंटी, उसके बाद बारी बारी से अरुण अंकल के कपडे, दोनों लेंगे खड़े थे, माँ की मोटी मोटी जांघ तक दिख रहे थे, उसके बाद अरुण अंकल, माँ को उठा के पलंग पे लिटा दिए, मेरी कानो में सिर्फ आआह आआअह आआआह, और पलंग की चों चों की आवाज आ रही थी, करीब १ घंटे तक मैंने अपने आप को किस तरह से समझाया क्या बताऊँ, मेरी माँ को एक गैर मर्द ने चोदा था, माँ चुद रही थी, अरुण अंकल जैसे कह रहे थे माँ चुप चाप कर रही थी,
और एक जोर सी आह के बाद दोनों शांत हो गए, अरुण अंकल कपडा पहने और, चले गए, माँ रोते रोते एक एक कर के सारे कपडे पहनी, मैं भी अंदर चुपचाप रो रही थी. जब माँ बाथरूम गई तो मैं आने का बहाना किया, माँ बोली आ गई बेटी, मैंने कहा हां माँ पर कपडे नहीं लाई, कोई नै डिज़ाइन नहीं था.शाम को पापा आये, हस्ते हुए माँ से पूछा सब ठीक रहा, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। माँ चुचाप रसोई में चली गई और खाना बनाने लगी, पापा को जवाव दिए बिना. अब क्या बताऊँ दोस्तों मुझे समझ अभी तक नहीं आया है की क्या रिश्ता है, ये थर्ड पर्सन क्यों है इन दोनों के ज़िंदगी में, आखिर क्या मजबूरी है, कैसी लगी मेरी माँ की सेक्स कहानियाँ , रिप्लाइ जररूर करना , अगर कोई मेरी मां की चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो उसे अब जोड़ना Facebook.com/KavitaBhabi
Home »
चुदाई की कहानी
,
नाजायज़ सेक्स कहानी
,
माँ की चुदाई
,
हिंदी सेक्स कहानियाँ
» पापा के दोस्त के साथ मेरी माँ की नाजायज़ सेक्स संबंध
पापा के दोस्त के साथ मेरी माँ की नाजायज़ सेक्स संबंध
Posted by xxx stories hindi sex kahani
Posted on 16:46
with 1 comment
Me ek unsatisfied housewife hu .. bada lund ki bhukhi hu me ..chudai ke liya meri chut tadap rahi hai .. real me chudai ke liya add karo >>> Bada lund ki pyasi bhabhi
ReplyDeleteMere sath real me chudai aur More entertainment
baap beti ki real sex kahani
behan ki kunwari chut me bhai ka mota lund
bhai behan ki indian sex story
tamil housewifes ki chudai kahani
bhai ne behan ko choda zabardasti
college teacher ke sath sex kahani
maa ki chut me bete ka lund
ghode ka lund se biwi ki chudai kahani
kutte se bhabhi ki chudai kahani
ghode ke sath chudai ki story
kaise indian ladki ghode ka lund chut me liya
bollywood actress ke saath sex ki kahani
bahu ko choda sasur ne
damad ne choda apni saas ko
devar bhabh ki chudai kahani with nanga photo
maa aur beta ki hot chudai ki kahani with hot pics